एनआईटीटीटीआर चंडीगढ़ में सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों पर प्रबंधन विकास कार्यक्रम में परिवार और समाज में सामंजस्य पर हुआ चिंतन

पंजाब

एनआईटीटीटीआर चंडीगढ़ में सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों पर प्रबंधन विकास कार्यक्रम में परिवार और समाज में सामंजस्य पर हुआ चिंतन

पीआईबी-चंडीगढ़, 11अप्रैल राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान चंडीगढ़ में सार्वभौमिक मानव मूल्यों (यूएचवी) पर तीन दिवसीय प्रबंधन विकास कार्यक्रम चल रहा है।
कार्यक्रम का उद्घाटन आईआईटी रोपड़ के निदेशक प्रो. राजीव आहूजा ने कल 10 अप्रैल को किया था। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 द्वारा मानवीय मूल्यों पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करना है और यूएचवी और समग्र, मूल्य आधारित शिक्षा को पूरी भावना से आगे बढ़ाने के लिए शैक्षणिक संस्थानों की प्रतिबद्धता को और मजबूत करना है।
इस कार्यक्रम में 150 से अधिक प्रतिभागी, विशेष रूप से उत्तर-पश्चिमी भारत के 10 राज्यों के विश्वविद्यालयों के कुलपति और एआईसीटीई/यूजीसी अनुमोदित संस्थानों के निदेशक/प्राचार्य भाग ले रहे हैं।
कार्यक्रम के दूसरे दिन विशेषज्ञों ने हमारी मूल आकांक्षा, खुशी और समृद्धि की निरंतरता पर चर्चा की।
कार्यक्रम में कहा गया कि हम सभी खुश और समृद्ध बनने के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि इन प्रयासों का नतीजा क्या है। “क्या हम अपनी आकांक्षा को प्राप्त कर रहे हैं या उससे बहुत दूर जा रहे हैं?
हम सभी को समग्र विकास का अर्थ समझने की आवश्यकता है।” सत्र के रिसोर्स पर्सन ने कहा कि भौतिक सुविधाओं पर ध्यान देने के साथ-साथ शिक्षा को सही समझ और रिश्तों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
संसाधन व्यक्तियों ने परिवार में सामंजस्य पर चर्चा शुरू की। बताया गया कि दूसरों का इरादा भी उतना ही पवित्र हो सकता है जितना कि खुद का इरादा।
रिसोर्स पर्सन ने कहा कि कभी-कभी लोग तनावग्रस्त और परेशान होते हैं और वे अपनी चिंताओं को व्यक्त करते हैं। हमें स्वयं का और अन्य लोगों का सही मूल्यांकन करने की आवश्यकता है, उनकी मंशा और चिंताओं को हल करने की वर्तमान क्षमता के साथ।”
समृद्धि और खुशी से संबंधित प्रतिभागियों के प्रश्नों पर भी चर्चा की गई और उनका उत्तर दिया गया।
इसके अलावा, कार्यक्रम में समाज में सद्भाव पर चर्चा की गई तथा सामूहिक प्रयासों और समाज के विकास के महत्व पर प्रकाश डाला गया।
प्रतिभागियों ने विश्व में व्याप्त युद्ध स्थितियों के बारे में अपनी चिंताएं व्यक्त कीं।
कार्यक्रम के दौरान प्रकृति में सामंजस्य पर भी चर्चा की गई, जो पर्यावरणीय संरक्षण के कारण विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो गया है।

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