आयुष विवि के आयुर्वेदिक अस्पताल में दाखिल रोगियों के लिए योग साधना शुरू।

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रोगियों की मानसिक व शारीरिक पीड़ा के लिए संजीवनी बनेगा योग : प्रो. डॉ. राजा सिंगला

कुरुक्षेत्र,26 सितंबर : बीमारी के दौरान शारीरिक तकलीफों के साथ मानसिक तनाव से गुजर रहे रोगियों को इस अवस्था से बाहर लाने के लिए श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय ने लीक से हटकर कदम उठाया है। अब विश्वविद्यालय के आयुर्वेदिक अस्पताल में भर्ती मरीजों को रोजाना सूक्ष्म व्यायाम, आसन, प्राणायाम, ध्यान और शवासन कराए जाएंगे, जिससे मरीजों को मानसिक शांति और शारीरिक मजबूती मिल सके। आयुर्वेदिक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. राजा सिंगला ने बताया कि कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान के मार्गदर्शन में मरीजों को शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए यह योगाभ्यास कार्यक्रम शुरू किया गया है। प्रो. सिंगला ने बताया कि अस्पताल में योग थेरेपिस्ट रितिक और संगीता की देखरेख में रोजाना सुबह 7 से 7:45 बजे तक और शाम 5 से 5:45 बजे तक मरीजों को योगाभ्यास कराया जाएगा। इसमें सूक्ष्म व्यायाम, विभिन्न आसन, प्राणायाम, ध्यान और शवासन जैसे अभ्यास शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि यह पहल रोगियों के इलाज में आयुर्वेदिक चिकित्सा के साथ योग को भी महत्वपूर्ण सहायक के रूप में सामने लाएगी।
जानिए रोगियों के लिए क्यों जरूरी है योग
योग विभाग की चेयरपर्सन प्रो. शीतल सिंगला ने बताया कि योग न केवल रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है, बल्कि मानसिक पीड़ा और चिंता को भी कम करता है। उन्होंने बताया कि सूक्ष्म व्यायाम से शरीर की मांसपेशियां लचीली होती हैं, रक्त संचार बेहतर होता है और दर्द व अकड़न कम होती है। आसन शरीर की ऊर्जा को संतुलित करते हैं, पाचन क्रिया सुधारते हैं और अंगों को मजबूती प्रदान करते हैं। प्राणायाम फेफड़ों की क्षमता बढ़ाकर श्वसन तंत्र को मजबूत करता है और तनाव व चिंता को दूर करता है। उन्होंने बताया कि ध्यान मानसिक शांति प्रदान करता है, मन को स्थिर करता है और अवसाद व अनिद्रा जैसी समस्याओं में राहत देता है,जबकि शवासन गहरी विश्रांति देकर शरीर को पुनः ऊर्जा से भरता है और इलाज की प्रक्रिया को तेज करता है।

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