*केंद्रीय और राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं के निदेशकों की दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक चंडीगढ़ में आयोजित की जाएगी*
*नए आपराधिक कानूनों के अनुसार फोरेंसिक विज्ञान सेवाओं को मजबूत बनाने पर चर्चा होगी*
चंडीगढ़, 22 मई, 2025 (आज तक आमने सामने)
केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (सीएफएसएल) और राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं (एफएसएल) के निदेशकों की दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक 23 और 24 मई, 2025 को केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला, चंडीगढ़ में आयोजित की जा रही है। राष्ट्रीय बैठक का विषय “नए आपराधिक कानूनों के अनुसार फोरेंसिक विज्ञान सेवाओं को मजबूत बनाना” है और इस बैठक का आयोजन फोरेंसिक विज्ञान सेवा निदेशालय (डीएफएसएस), गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है।
इस बैठक में फोरेंसिक के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों के कार्यान्वयन और तीन नए आपराधिक कानूनों के लिए इसके निहितार्थ पर चर्चा होगी। डॉ. जी.के. गोस्वामी, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) और यूपी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फोरेंसिक साइंसेज (यूपीएसआईएफएस) के संस्थापक निदेशक, जो 23 मई, 2025 को आयोजित होने वाले उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि भी हैं। मुख्य अतिथि सीएफएसएल, चंडीगढ़ में स्वदेशी रूप से विकसित तीन सुविधाओं अर्थात् ड्रोन फोरेंसिक विश्लेषण प्रयोगशाला, सांप के जहर का पता लगाने वाली प्रयोगशाला, क्षतिग्रस्त मीडिया विश्लेषण सुविधा और इंटर-ऑपरेबल आपराधिक न्याय प्रणाली (ई-फोरेंसिक 2.0) का भी उद्घाटन करेंगे।
निदेशकों की बैठक के समापन दिवस पर, यानी 24 मई, 2025 को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री बंदी संजय कुमार नए आपराधिक कानूनों और फोरेंसिक मनोविज्ञान के अनुसार अपराध स्थल प्रबंधन एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) जारी करेंगे।
बैठक क्षमता निर्माण और मानव संसाधन विकास के माध्यम से फोरेंसिक विज्ञान सेवाओं को मजबूत करने के लिए एक रोडमैप के साथ आने का प्रयास करेगी। यह आतंकवादियों द्वारा अपराध करने के दौरान आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए अनुसंधान के ग्रे क्षेत्रों की पहचान करने का भी प्रयास करता है। दो दिवसीय बैठक में बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण और फोरेंसिक विज्ञान में सर्वोत्तम प्रथाओं के मानकीकरण पर भी चर्चा होगी।
बैठक में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं को अंतर-संचालनीय आपराधिक न्याय प्रणाली (आईसीजेएस) के साथ एकीकृत करने का भी प्रस्ताव है, जहाँ सभी पाँच स्तंभों, यानी फोरेंसिक, न्यायालय, पुलिस, सरकारी अभियोजक और जेलों को एकीकृत किया जाएगा। निदेशकों की बैठक के दौरान, अंतर-एजेंसी समन्वय को मजबूत करने, तकनीकी जानकारी साझा करने और सहयोग के बारे में चर्चा होगी जिससे टर्नअराउंड समय और केस हैंडलिंग समय को कम किया जा सके। इसमें फोरेंसिक विज्ञान में सर्वोत्तम प्रथाओं और चुनौतियों और भविष्य की योजनाओं पर विभिन्न राज्य/केंद्र शासित प्रदेश फोरेंसिक विज्ञान निदेशकों द्वारा ओपन हाउस चर्चा, इंटरैक्टिव सत्र और प्रस्तुतियाँ भी होंगी।
प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के सपने को साकार करने तथा अधिक कुशल और प्रतिस्पर्धी बनने के लिए फोरेंसिक विज्ञान सेवा निदेशालय (डीएफएसएस) के तहत सीएफएसएल, चंडीगढ़ के वैज्ञानिकों ने स्वदेशी रूप से 1) महिला सुरक्षा उपकरण (रक्षा सूत्र), 2) रोटेटिंग पेपर डिस्क (आरपीडी), 3) स्वचालित स्पीकर पहचान प्रणाली (एसपीआईडी), 4) चिप-ऑफ तकनीक, 5) लेखक सत्यापन/ऑफ-लाइन हस्ताक्षर सत्यापन के लिए एआई-सक्षम कम लागत वाली हैंड-हेल्ड डिवाइस और 6) डीएफएसएस, नई दिल्ली द्वारा इन परियोजनाओं के तहत आईआईटी सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों को प्रदान किए गए एक्स्ट्रामुरल रिसर्च प्रोजेक्ट (ईएमआर) के तहत ऑडियो-वीडियो फुटेज के प्रमाणीकरण के लिए सॉफ्टवेयर विकसित किया है।
सीएफएसएल, चंडीगढ़ के वैज्ञानिकों द्वारा दो पेटेंट भी प्रकाशित किए गए हैं। विकसित/आविष्कार की गई तकनीक को पुलिस, न्यायपालिका और वैज्ञानिकों जैसे सभी हितधारकों के समक्ष प्रदर्शित किया जाएगा।
राष्ट्रीय सम्मेलन में फोरेंसिक विज्ञान सेवाओं को मजबूत बनाने और मामलों के निपटान के लिए कुछ नीतियां और प्रक्रियाएं सामने आएंगी, जिससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली मजबूत होगी।
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पीआईबी चंडीगढ़ | दीप / सीएफएसएल