WHO: कोविड-19 को ‘भुलाने’ की ग़लती न करें

स्वास्थ्य



योरोप के क्षेत्रीय WHO कार्यालय ने एक क्षेत्रव्यापी सुरक्षा अभियान का आरम्भ करते हुए कहा कि कोविड, इन्फ़्लुएंज़ा और रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (RSV) जैसे कोरोनावायरसों को “गम्भीरता से लिया जाना ज़रूरी है’, क्योंकि ये ख़ासतौर पर बुज़ुर्गों, गर्भवती महिलाओं और मौजूदा या पुरानी बीमारियों से पीड़ित जैसे संवेदनशील समूहों के लिए ख़तरनाक साबित हो सकते हैं. 

WHO के क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर हैंस क्लूज ने कहा कि कोविड-19 को लेकर लोगों को मानो ‘भूलने की सामूहिक बीमारी’ हो गई है और यह स्थिति बेहद चिन्ताजनक है. हालाँकि समझ आता है कि लोग, समुदाय और ऱाष्ट्र, महामारी के वर्षों की पीड़ा को भूलकर आगे बढ़ना चाहते हैं, लेकिन कोविड-19 अभी ख़त्म नहीं हुआ है और अन्य श्वसन वायरसों के साथ हमारे आसपास ही घूम रहा है.

योरोप में ध्यान का केन्द्र

डब्ल्यूएचओ के अधिकारी ने कहा कि योरोप और मध्य एशिया के 53 देशों में अभी भी मौसमी इन्फ़्लुएंज़ा से 72 हज़ार तक मौतें होती हैं, जो वैश्विक बोझ का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा है. 

उन्होंने कहा, “इन मौतों में से अधिकांश को रोका जा सकता है.” उन्होंने कहा कि टीकाकरण के ज़रिए सबसे संवेदनशील लोगों की “सुरक्षा की जानी चाहिए”, क्योंकि बीमारी व उसके गम्भीर परिणामों की रोकथाम के लिए इसकी प्रभावशीलता साबित हो चुकी है. 

WHO के योरोपीय क्षेत्र में स्वास्थ्य अधिकारियों ने, 22 सितम्बर तक केवल 28 दिनों के भीतर, साइप्रस से मोल्दोवा तक और आयरलैंड से रूस तक, 2 लाख 78 हज़ार से अधिक कोविड​​​​-19 मामलों और 748 मौतों की जानकारी दी है. 

संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि ये संख्या किसी भी अन्य डब्ल्यूएचओ क्षेत्र की तुलना में अधिक है और असल आँकड़े सम्भवतः अनुमान से अधिक हो सकते हैं.

WHO के आँकड़ों के अनुसार, 2019 के अन्त में प्रकोप शुरू होने के बाद से कोविड-19 से 70 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें से अधिकांश मौतें, संयुक्त राज्य अमेरिका (12 लाख), ब्राज़ील (7 लाख 2 हज़ार), भारत (5 लाख 34 हज़ार) और रूस (4 लाख 3 हज़ार) में हुई हैं. 

अप्रत्याशित रोगजनक

डॉक्टर हैंस क्लूज ने कहा, “कोविड-19 ने ग्रह के हर कोने में विनाश मचाया है. Mpox clade II भी 2022 में योरोप में अप्रत्याशित रूप से उभरा और इस क्षेत्र में फैल रहा है. मध्य-पूर्वी अफ़्रीका में एमपॉक्स क्लैड I के कारण अन्तरराष्ट्रीय चिन्तायोग्य सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातस्थिति घोषित करनी पड़ी. 

वहीं आने वाले महीनों में RSV और इन्फ़्लुएंज़ा के तेज़ी से फैलने की उम्मीद है, ख़ासतौर पर जब ठंड के मौसम में लोग अधिकतर घरों में इकट्ठा होंगे. 

डब्ल्यूएचओ के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि देशों के स्वास्थ्य अधिकारियों को संवेदनशील आबादी की रक्षा करने के प्रयास जारी रखने होंगे. उन्होंने काम के बोझ में दबे स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए, सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में अधिक निवेश का आग्रह किया.

डॉक्टर हैंस क्लूज ने नियमित एवं निरंतर निगरानी की ज़रूरत के लिए चेतावनी देते हुए कहा कि नए और मौजूदा वायरस “स्वास्थ्य प्रणालियों, अर्थव्यवस्थाओं और समाज पर कहर बरपा सकते हैं. इसलिए “यह सुनिश्चित करना आवश्यक होगा कि जब भी और जहाँ भी कोई बड़ी स्वास्थ्य आपात स्थिति खड़ी हो, तो हम उससे निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हों.”

इन्फ़्लुएंज़ा और अन्य साँस के रोगों को फैलने से रोकने के WHO योरोप के सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान के हिस्से के रूप में, संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने प्रमुख सुरक्षात्मक उपायों के तहत, बीमार होने पर घर पर रहने,  हाथों एवं खाँसी को लेकर स्वच्छता रखने तथा हवादार कमरे में रहना शामिल है.WHO ने कहा कि संवेदनशील आबादी में वो लोग भी आते हैं, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर होती है. ऐसे में जो लोग साँस के वायरस के संक्रमण के शिकार हो जाते हैं, उन्हें भीड़-भाड़ वाली या बन्द जगहों पर कसे हुए मास्क पहनने चाहिए.

डॉक्टर हैंस क्लूज ने कहा, “श्वसन सम्बन्धी वायरस से बचाव, सरकारों और पूरे समाज की साझा ज़िम्मेदारी है. हर किसी को संवेदनशील लोगों की देखभाल और उनके साथ एकजुटता जताने की संस्कृति को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए.”



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