*चरित्रहीन, आसामाजिक तत्वों के पनाहगार, भ्रष्टाचारी,घपले बाज,घोर अपराधी, रिश्वतखोर ,गैर कानूनी कार्यों में संलिप्त नेताओं को चुन कर उनसे अच्छाई की आशा रखना कितना उचित*?
जरा सोचिए = क्या जनता का स्वार्थ या ::::::::::?
✍🏿 राजनीतिक दलों द्वारा सता को हासिल करने हेतु वोटरों को लुभाने हेतु नए नए हथकंडे अपनाना। चुनाव नजदीक आते ही अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं की ओर से लालच वश दल बदलना। वोट बैंक के लालच में चोर,डाकू,भ्रष्टाचारी,कामचोर,नशे के सौदागर,घपले बाज,घोर अपराधी, संवेदनशील जुर्मों के अंतर्गत जेलों में सजाएँ काट रहे,रिश्वतखोर, नशेड़ी, चरित्रहीन यूँ कहें सर्व अवगुणों से संपन्न ऐसे लोगों को विजयी बना कर सरकार बनाना कहां तक उचित?। शिक्षा की बात करें तो कुछेक को शपथ भी नही पढ़नी आती एवं शैक्षणिक योग्यता दर्जा चार कर्मचारी से भी कम। सरकार के ऊंचे मंत्री पदों पर विराजमान हो कर उच्च स्तरीय अधिकारियों को कटु वचन बोलना एवं कानूनी मशवरे सिखाना। चोर चोरी से जाए पर हेराफेरी से न जाए के कथनानुसार अवसर की तलाश में रहना। कानूनी बनाने वाले एवं तोड़ने वाले भी खुद =जब खुद कोतवाल तो डर कैसा। जनता के खून पसीने की कमाई से एशो-आराम में एवं सता के नशे में मदहोश हो कर भूल जाना कि हम कौन? यदि देखा जाए कि राजनीतिक एक सद्भावना से सेवा है परंतु ऐसा लगता है कि आजकल राजनीती एक विशेष व्यापार बन कर रह गया है। जो एक बार किसी राजनीतिक पद पर आसीन हो जाता है उसकी संपति एवं ठाठ-बाट में वृद्धि होना लगभग निश्चित हो गया है। इस प्रकार राजनीति में भविष्य अजमाने हेतु अधिकांश प्रचलित हो गया है। क्यों कि इस पद हेतु न ही उचित जैसे := शैक्षणिक योग्यता, मैरिट, चारित्र, पुलिस प्रशासन द्वारा जांच पड़ताल रिपोर्ट डाक्टरी फिटनेस प्रमाण पत्र, शैक्षणिक योग्यता प्रमाण पत्रों की जांच-पड़ताल, शरीरिक चाहिए जब कि दर्जा चार कर्मचारी को नौकरी लेने हेतु कई माप दण्ड़ों से गुजरना होता है। काम अधिक मजदूरी कम नौकरी की अवधि पूरी होने उपरांत पैंशन सुविधा से वंचित जब कि राजनीतिक पदों पर अधिक तनखाह,भत्ते, सहूलतें एवं पांच वर्ष की अवधि पर मोटी पैंशन। बुद्धिजीवी वर्ग अनुभव के अनुसार जैसे किसी भी सरकारी पद हेतु मापदंड निर्धारित हैं इसी प्रकार सरकार के प्रतिनिधिमंडल हेतु भी मापदंड अनिवार्य होने चाहिए ताकि सरकार सुयोग्य प्रतिनिधियों की हो। देश के विकास एवं बच्चों के उज्जवल भविष्य के देखते हुए राजनीतिक दलों को भी जांच पड़ताल करके ही प्रत्यक्षियों को चुनाव मैदान में उतारना चाहिए एवं वोटरों को बिना किसी लालच के सुयोग्य प्रत्याक्षी को ही विजयी बना कर अच्छी सरकार बनाना सुनिश्चित करना होगा।